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Mandsaur rape:आरोपी आसिफ की मां का बड़ा बयान| Mother's statement of the accused - 2018

Mohammed Waqar जी, आपका बेसब्री से इंतज़ार हो रहा है, मेहमाननवाज़ी का अवसर प्रदान करें

Mohammed Waqar जी आपका बेसब्री से इंतज़ार हो रहा है, मेहमाननवाज़ी का अवसर प्रदान करें । धमकी देने वाले Mohammed Waqar जी 5 तारीख को ग्वालियर आये थे और 8 तारीख को ग्वालियर छोड़ कर चले गए, लीजिये साहब गुलाम ए मुस्तफ़ा का कानून तो भाग खड़ा हुआ । Special Thanks To 🙏 Nitin Shukla Ji Nitin Shukla नितिन शुक्ला पेज लाइक करें वीडियो पसंद आए तो लाइक और शेयर जरूर करें

Updesh Rana बोले #हिंदू लड़कियों को लव जिहाद में धकेला जा रहा है, राजस्थान के जयपुर में #उपदेश राणा

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Updesh Rana राजस्थान के जयपुर में हिंदू लड़कियों को लव जिहाद में धकेला जा रहा है बोले

उपदेश राणा बोले #हिंदू लड़कियों को लव जिहाद में धकेला जा रहा है, राजस्थान के जयपुर में

Deepak Sharma बोले #कहाँ हैं #पुलिसवर्दी के मानवाधिकार इस देश के हर #पुलिस अधिकारी तक पहुचाएं विडियो

Updesh Rana बोले #उन सभी हिंदू वीरों का धन्यवाद ,जो अपना समर्थन कर रहे हैं | उपदेश राणा विडियो


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Joke of the Day 

शादी के बाद जब टिंकू की पत्नी का पहला जन्मदिन आया तो उस दिन टिंकू बिजनेस के सिलसिले में शहर से बाहर था.

इसलिए टिंकू ने 24 गुलाब के फूल आर्डर किये अपनी पत्नी को भेजने के लिए और फूलों के साथ एक नोट लिखा –

“डार्लिंग, मुझे तुम्हारी सही उम्र पता नहीं हैं, इसलिए मैं अंदाजे से तुम्हारे लिए उतने फूल भेज रहा हूँ जितनी उम्र तुम्हारी मेरी समझ से हैं … हैप्पी बर्थडे !”

उधर फूलवाले ने उसी दिन दूकान खोली थी, सो उसने सोचा कि ये मेरा पहला कस्टमर है, चलो इसे 12 फूल फ्री में दे देता हूँ …

टिंकू को आज तक समझ में नहीं आया है कि आखिर उसकी बीवी ने उसे तलाक़ दिया तो दिया क्यों ???

ये है खालिद समीर NDTV, Aajtak और कई मीडिया चैनल की Public Debate में भीड़ के बीच में बैठे रहते हैं

ये है खालिद समीर .. ये एक ऐसे #Random_Person हैं.. जो RNDTV, Aajtak और कई मीडिया चैनल की Public Debate में भीड़ के बीच में बैठे रहते हैं

 और जब आम जनता से सवाल पूछा जाता है तो टीवी का पत्रकार भीड़ में से हर बार Randomly इन Mr. Random को माइक पकड़ा देती है... और फिर ये  टीवी चैनल द्वारा दिये गए सवालों को पैनलिस्ट से पूछते हैं... और हमेशा इनका निशाना BJP का बंदा ही होता है.

.. और कभी ये Opposition के बंदे से सवाल नहीं पूछते... आज शाम से इनकी FB Profile वायरल हो गई है..

. और इनकी बहुत सारी फोटोज़ थी Mr. Ravish Kumar के साथ.. Mr. Asaduddin Owaisi के साथ... लेकिन प्रोफाइल वायरल होते ही जनाब ने ओवैसी और रविश कुमार के साथ वाली सारी फोटोज़ FB से हटा ली... और अपनी प्रोफाइल में भी कुछ changes किये हैं... और हाँ.. एक बात और... जनाब अपने आप को Mass Communication का स्टूडेंट बताते है साथ ही साथ अपने आप को Bomb Difuser भी बताते हैं...इनके लिए दो शब्द आप सभी के मुखारबिन्दु से।

Kapil Mishra || केजरीवाल के साडू का बेटा ACB ने गिरफ़्तार किया 

Kapil Mishra || केजरीवाल के साडू का बेटा ACB ने गिरफ़्तार किया || सत्येंद्र जैन के PWD से करोड़ो रुपये छापे
Kapil Mishra बोले 👇
केजरीवाल के साडू का बेटा ACB ने गिरफ़्तार किया
सत्येंद्र जैन के PWD से करोड़ो रुपये कब फर्जी बिल का पेमेंट हुआ
अब केजरीवाल के साडू की मौत की भी जांच होनी चाहिए आखिर उनकी मौत उसी दिन कैसे हुई जिस दिन मैंने उनके नाम का खुलासा किया
विनय बंसल को ACB ने गुरुवार सुबह गिरफ्तार किया। PWD में फर्जीवाड़े के आरोप में यह गिरफ्तारी हुई है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साढू की कंपनी ने रोड और सीवर के ठेकों में फर्जीवाड़ा किया। कंपनी के फर्जी बिल लगाकर सरकार को 10 करोड़ की चपत लगाई। 
बंसल की गिरफ्तारी की पुष्टि एंटी ग्राफ्ट यूनिट के प्रमुख स्पेशल पुलिस कमिश्नर अरविंद दीप ने की है। अरविंद दीप ने बताया, 'विनय बंसल अपने पिता सुरेंद्र बंसल के साथ इस फर्म में पार्टनर था।
पीडब्ल्यूडी स्कैम केस में इनकी कंपनी ने निर्माण कार्य के लिए खरीदी गई सामग्री का बिल जमा किया था। हमारी जांच में पता चला है कि ऐसी कोई फर्म ही नहीं है। बिल फर्जी थे। आज विनय बंसल को गिरफ्तार कर लिया गया है।'
विडियो पसन्द आऐ तो लाईक व शेयर करे
Disclaimer :
इस वीडियो में दिखाए गए फुटेज सोशल मीडिया से एकत्रित किये गए हैं। टाइम्स इंडिया युटुयुब चैनल ने इस वीडियो को सिर्फ लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से एडिट करके बनाया है। इस वीडियो में टाइम्स इंडिया का अपना कोई भी हस्तछेप नहीं है ।और न ही ऐसी किसी भी चीजों को बढ़ावा देना है। इस वीडियो का मकसद किसी भी व्यक्ति विशेष की भावनाओं को ठेस पहुंचना बिलकुल भी नहीं है।
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चालक बुजुर्ग मतलब मोदी ने लाल किला बेच दिया मतलब नासमझ मानसिकता 
लाल किला बेच दिया मोदी ने
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चालाक बुज़ुर्ग: वैसे तो बुज़ुर्ग अक्सर घर परिवार का ध्यान रखने वाले होते हैं पर कुछ बिकाऊ टाइप भी होते हैं, घर दुकान की हर चीज़ बेच डालते हैं, मैंने खुद ऐसे बुज़ुर्ग देखे हैं, बल्कि सही कहूँ तो ऐसे बुज़ुर्ग से डील भी की है कई तो बहुत लालची भी होते हैं ।

बात 2009 के आसपास की है, मैंने एक नया काम शुरू किया, उस काम की एडवरटाइजिंग के लिए वाल पेंटिंग करवानी थी, पेंटर तैयार था पर उसने कहा कि जहाँ भी लिखना हो उस दीवार के मालिक से मुझे ही बात करनी होगी, हमने उसे अपने साथ लिया और निकल पड़े हाईवे पर, मुझे तलाश थी एक बड़े मकान की जिसकी दीवार पर मैं अपना ऐड पेंट करवा सकूँ, आती जाती बस और कार से वह ऐड एकदम स्पष्ट दिखाई भी देना चाहिए, काफी जद्दो जहद के बाद हमनें कुछ साइट फाइनल कर लीं, कोई पैसे ना मांगे इसलिए बड़ी चतुराई से मैंने ऐसी बिल्डिंग्स को चिन्हित किया था जिनकी बाहरी हालात खराब थी और दिखने में बदसूरत लग रही थी ।

मैं एक एक कर मकान मालिक के पास जाता और समझाता की देखिये आपका मकान कितना खराब लग रहा है, इसकी पुताई नही हुई है इसलिए इसका प्लास्टर भी खराब हो जाएगा आपका बहुत खर्चा बढ़ जाएगा, आप कहें तो मैं आपके मकान पर आयल पेंट करवा दूँ? पर जिसे मैं गाँव का दाद्दु समझ रहा था वो बुड्ढा तो ऊँची चीज़ निकला, बोला आप सिर्फ एक दीवार पेंट करवाओगे तो अपेक्षाकृत बाकी का मकान और भी खराब दिखेगा, इसलिए करवाना है तो पूरे की पुताई करवा दो और जितने पर अपना ऐड लगाना है उसे आयल पेंट करवा दो ।

गांव के बुज़ुर्ग की चतुराई देख कर मैं हैरान रह गया, खैर साइट की लोकेशन बेहतरीन थी मैं उसे जाने नही देना चाहता था सो मैने पूरे मकान की पुताई और अपने ऐड की छपाई के लिए हामी भर दी, बुज़ुर्ग आगे बोले ये सब के बदले आपके ऐड की हमारी कोई जिम्मेदारी नही है, मेरा माथा ठनका मैंने कहा मतलब?? वे बोले देखो भैया कोई आ कर दूसरा ऐड लगा जाए या कंडे थाप जाए तो? हम दिनभर इसकी रखवाली थोड़े ही करेंगे? मैंने कहा ये तो कोई बात नही हुई? तो बुज़ुर्ग बोले क्या आपने हमें अपने ऐड की रखवाली के लिए पैसे दिए हैं? मैं समझ गया रखवाली के अलग से पैसे देने होंगे वर्ना कल ही ऐड के ऊपर कंडे छपे मिलेंगे, मैंने पूछा रखवाली का क्या लगेगा, बुज़ुर्ग का चेहरा खिल उठा, ले दे कर 1000 रुपये 6 महीनों के लिए तय हुए की 6 महीनों तक ना तो कोई दूसरा ऐड मेरे ऐड के ऊपर चिपकाया जाएगा ना ही कंडे थापे जाएंगे ।

सो कुल मिलाकर बुज़ुर्ग ने पूरा घर भी पेंट करवा लिया, और ऐड के पैसे भी ले लिए, अब उसके लड़के कह रहे हैं कि हमारे बाप ने हज़ार रुपये में घर बेच दिया एक शहरी बाबू को ।

आज मोदी में मुझे वही बुज़ुर्ग नज़र आ रहे हैं और उन्ही लड़कों की तरह कुछ नासमझ मोदी को गाली दे रहे हैं कि मोदी ने लाल-किला बेच दिया, कुछ दिन पहले ये रेलवे स्टेशन बेच दिया चिल्ला रहे थे, जबकि असलियत ये है कि बड़ी चालाकी से मोदी ने खस्ताहाल लाल-किले की मरम्मत भी करवा ली और पैसे भी ले लिए, जब इतनी अक्ल एक अनपढ़ गाँववाले में है तो वो तो मोदी है मोदी, गुजराती भाई है, Stay Calm Trust Modi

नोट: कोई कॉपी राइट नही है, दबा के कॉपी पेस्ट करें ।

पाँच साल की बेटी बाज़ार में गोल गप्पे खाने के लिए मचल गई।

 🍥🌏  “किस भाव से दिए भाई?” पापा नें सवाल् किया।  “10 रूपये के 8 दिए हैं। गोल गप्पे वाले ने जवाब दिया…… पापा को मालूम नहीं था गोलगप्पे इतने महँगे हो गये है….जब वे खाया करते थे तब तो एक रुपये के 10 मिला करते थे। . पापा ने जेब मे हाथ डाला 15 रुपये बचे थे। बाकी रुपये घर की जरूरत का सामान लेने में खर्च हो गए थे। उनका गांव शहर से दूर है 10 रुपये तो बस किराए में लग जाने है। “नहीं भई 5 रुपये में 10 दो तो ठीक है वरना नही लेने।

यह सुनकर बेटी नें मुँह फुला लिया…. “अरे अब चलो भी , नहीं लेने इतने महँगे। पापा के माथे पर लकीरें उभर आयीं …. “अरे खा लेने दो ना साहब… अभी आपके घर में है तो आपसे लाड़ भी कर सकती है… कल को पराये घर चली गयी तो पता नहीं ऐसे मचल पायेगी या नहीं. … तब आप भी तरसोगे बिटिया की फरमाइश पूरी करने को… गोलगप्पे वाले के शब्द थे तो चुभने वाले पर उन्हें सुनकर पापा को अपनी बड़ी बेटी की याद आ गयी….


जिसकी शादी उसने तीन साल पहले
एक खाते -पीते पढ़े लिखे परिवार में की थी……

उन्होंने पहले साल से ही उसे छोटी
छोटी बातों पर सताना शुरू कर दिया था…..

दो साल तक वह मुट्ठी भरभर के
रुपये उनके मुँह में ठूँसता रहा पर
उनका पेट बढ़ता ही चला गया ….

और अंत में एक दिन सीढियों से
गिर कर बेटी की मौत की खबर
ही मायके पहुँची….

आज वह छटपटाता है
कि उसकी वह बेटी फिर से
उसके पास लौट आये..?
और वह चुन चुन कर उसकी
सारी अधूरी इच्छाएँ पूरी कर दे…

पर वह अच्छी तरह जानता है
कि अब यह असंभव है.
“दे दूँ क्या बाबूजी

गोलगप्पे वाले की आवाज से
पापा की तंद्रा टूटी…

“रुको भाई दो मिनिट ….
पापा पास ही पंसारी की दुकान थी उस पर गए जहाँ से जरूरत का सामान खरीदा था। खरीदी गई पाँच किलो चीनी में से एक किलो चीनी वापस की तो 40 रुपये जेब मे बढ़ गए।

फिर ठेले पर आकर पापा ने डबडबायी आँखें
पोंछते हुए कहा
अब खिलादे भाई। हाँ तीखा जरा कम डालना। मेरी बिटिया बहुत नाजुक है….
सुनकर पाँच वर्ष की गुड़िया जैसी बेटी की आंखों में चमक आ गई और पापा का हाथ कस कर पकड़ लिया।

जब तक बेटी हमारे घर है
उनकी हर इच्छा जरूर पूरी करे,…👏👏

क्या पता आगे कोई इच्छा
पूरी हो पाये या ना हो पाये ।

ये बेटियां भी कितनी अजीब होती हैं
जब ससुराल में होती हैं
तब माइके जाने को तरसती हैं….

सोचती हैं
कि घर जाकर माँ को ये बताऊँगी
पापा से ये मांगूंगी
बहिन से ये कहूँगी
भाई को सबक सिखाऊंगी
और मौज मस्ती करुँगी…

लेकिन

जब सच में मायके जाती हैं तो
एकदम शांत हो जाती है
किसी से कुछ भी नहीं बोलती….

बस माँ बाप भाई बहन से गले मिलती है।
बहुत बहुत खुश होती है।
भूल जाती है
कुछ पल के लिए पति ससुराल…..

क्योंकि
एक अनोखा प्यार होता है मायके में
एक अजीब कशिश होती है मायके में…..
ससुराल में कितना भी प्यार मिले…..

माँ बाप की एक मुस्कान को
तरसती है ये बेटियां….

ससुराल में कितना भी रोएँ
पर मायके में एक भी आंसूं नहीं
बहाती ये बेटियां….

क्योंकि
बेटियों का सिर्फ एक ही आंसू माँ
बाप भाई बहन को हिला देता है
रुला देता है…..

कितनी अजीब है ये बेटियां
कितनी नटखट है ये बेटियां
भगवान की अनमोल देंन हैं
ये बेटियां ……

हो सके तो
बेटियों को बहुत प्यार दें
उन्हें कभी भी न रुलाये
क्योंकि ये अनमोल बेटी दो
परिवार जोड़ती है
दो रिश्तों को साथ लाती है।
अपने प्यार और मुस्कान से।

हम चाहते हैं कि
सभी बेटियां खुश रहें
हमेशा भले ही हो वो
मायके में या ससुराल में।

●●●●●●●●
खुशकिस्मत है वो
जो बेटी के बाप हैं,

उन्हें भरपूर प्यार दे, दुलार करें और यही व्यवहार अपनी पत्नी के साथ भी करें क्यों की वो भी किसी की बेटी है और अपने पिता की छोड़ कर आपके साथ पूरी ज़िन्दगी बीताने आयी है। उसके पिता की सारी उम्मीदें सिर्फ और सिर्फ आप से हैं।

*अगर ये पोस्ट दिल को छु गया हो तो और लोगों के साथ #शेयर जरूर करें*।

*ये पोस्ट समर्पित है हर नारी को*। ……..✍✍✍✍🙏🙏🙏

बड़ा खुलासा, अंदर की बात, #कठुआ का सच 


बताया जा रहा है कि 65 साल के व्यक्ति ने अपने ही सगे नाबालिग बेटे और भांजे के साथ मिलकर गैंगरेप किया, क्या ये संभव है? क्या कोई 65 वर्षीय पिता अपने नाबालिग बेटे और भांजे के साथ गैंगरेप करेगा? कम से हिन्दुओ में तो ये संभव नही लगता, तो फिर आखिर इन तीनों के नाम क्यो डाले SIT ने? जबकि ये लड़का घटना वाला दिन कश्मीर से सैकड़ों किलोमीटर दूर मेरठ में परीक्षा द्दे रहा था ।

कठुआ में मौजूद सूत्रों के अनुसार आरोपी सांझी राम की उम्र लगभग 65 वर्ष है और वे सेवानिवृत अधिकारी हैं, इनके बारे में पता चला है कि ये हिन्दूवादी मानसिकता के व्यक्ति हैं तथा अपने इलाके में हिन्दू जनजागृति का काम करते रहे हैं, सांझी राम बहुत पहले से ही दूसरे धर्म के लोगों की आंख का कांटा बने हुए थे, सांझी राम ने अवैध् रोहिंग्याओं के खिलाफ भी आवाज़ उठाई थी, सांझी राम अक्सर कई गुप्त सूचनाएं स्पेशल पुलिस अधिकारी दीपक खजुरिया व सुरेंद्र कुमार से साझा करते रहते थे, इसके अलावा इलाके की पुलिस के SI आनंद दत्ता व हेड कांस्टेबल तिलक राज को भी वह कई सूचनाएं देते रहते थे, वे अक्सर देशविरोधी गतिविधियों और रोहिंग्या की गतिविधियों की जानकारी उपरोक्त सभी से साझा करते रहते थे, इन्ही सूचनाओं पर ये पुलिस अधिकारी कई बार कार्यवाही भी करते थे जो कि कश्मीर सरकार को नागवार गुज़रा और इन अधिकारियों को इसके लिए फटकार भी लगाई गई, इसके बावजूद ये पुलिस अधिकारी सांझी राम से संपर्क में रहे और सूचनाएं एकत्रित करते रहे, तो क्या सांझी राम गुप्त सूचनाएं देने की कीमत चुका रहे हैं? क्या पुलिस अधिकारी इन सूचनाओं पर कार्यवाही करने की कीमत चुका रहे हैं? तो क्या सरकार हिन्दू जनजागृति करने वाले को बलि का बकरा बना कर हिन्दू संगठनों को फसाने की फिराक में थी? क्या इसके पीछे हिन्दू संगठनों को बदनाम करने की साजिश थी?

यानी जब हिन्दुओ को हिन्दू संगठनों को आतंकवादी साबित ना कर पाओ तो उन्हें बलात्कारी घोषित कर दो? क्या सांझी राम के बहाने हिन्दू संगठनों पर निशाना साधा जा रहा था? क्या अब देश में हिन्दुओ को बलात्कारी बताने का प्रयास किया जा रहा है? सवाल बहुत हैं और कश्मीर सरकार को उसके जवाब देने हैं ।

कठुआ पर बहुत कुछ लिखा,पढ़ा,देखा और समझा गया.

😡😡👇👇
*इस विषय पर सोशल मीडिया के रणबांकुरों मे ही आपस मे ही मतैक्य नही दिखा...कोई भावुकता मे कालीदास बन गया तो कोई घटना का छिन्द्रन्वेषण करते हुये बुद्धिमता के परखच्चे उड़ा गया...!!*

*खैर हिंदुत्व के सामाजिक दर्शन मे ये कोई नई बात नही है...पुरातन काल से एक दूसरे की टांग खिंचाई हम बौद्धिक उत्सव की तरह लेते रहे है...तभी तो हमारा प्रसार इरान से कम्बोडिया तक की जगह.....आज हिंदुस्तान मे ही सिमट चुका है....!!*
*और अब हम निरंतर यही कोशिश कर रहे है कि इस भूमि को भी विभाजित करके...दलितलैंड...सवर्णलैंड ..अगडिस्तान....पिछडिस्तान मे बांट कर अपनी भूख मिटा ले..!!*
*या कोई और पाकिस्तान ही बन जाय तो हमे क्या??*
*हमारा क्या नुकसान?*

*सनातन के योद्धाओं!!*
*याद है...कुटिल मुगल वंश का* *#भगवा आतंकवाद!!*
*या #हिंदु आतंकवाद..!!*

*याद हैं..कर्नल पुरोहित..!!*
*या #साध्वी प्रग्या..या असीमानंद...!!*

*याद है...मालेगांव विस्फोट..!!*
*या समझौता एक्सप्रेस धमाका..या मुम्बई अटैक..!!*
*जिसकी प्रस्तावना हिंदुत्व को आतंकवादी घोषित करने के लिये फिरंगन और उसके चरण चाटुकार दिग्गी द्वारा पहले ही रखी जा चुकी थी...याद तो नही होगा आपको...!!,*
*क्योंकि आपकी यही याददाश्त ही आपकी सैकडो वर्षों की गुलामी का कारण रहा है.....क्योंकि हम हिन्दुओ मे अपने पराये का भेद करने वाली बौद्धिक क्षमता को सहिष्णुता के अस्त्र से छीन लिया गया है...!!*

*फिलहाल,*
*यदि इतिहास से सबक लेना चाहते है तो अपने आँख,कान और बुद्धि के चारो कपाट कर खोल कर देखिये कि .....किसी कीमत पर हम मोदी को 2019 मे नही आने देंगे की धमकी देने वाले लोगों का आत्मविश्वास जानते है क्यों पैदा होकर बलवती होता जा रहा है क्योंकि हम भावुकता मे बहने वाले लोग...उनके विभाजनकारी षडयन्त्रो को समझ नही पा रहे हैं....!!*
*हम तो आँखो पर पट्टी बांध कर खाई पार करने की काल्पनिक क्षमता को ही बहादुरी समझ रहे है...!!*

*एक बात बताइये क्या कठुआ की घटना ही घटना है...??*

*तो बाकी सब क्या है??*
*मेरा मानना है कि अपराध और अपराधियों का पूर्ण शमन होना चाहिये लेकिन....राजनीति के गिद्ध क्यों कठुआ पर आँख गडाये है जानते है क्यों??*

*क्योंकि ये पूरी पिक्चर उन्होने ही बनाई है और अपनी इसी फिल्म जैसी साजिश के बहाने वे दुनिया मे संदेश देना चाह रहे हैं कि मुस्लिम भारत मे सुरक्षित नही हैं...जबकि ये सरासर झूठ है...!!*
*इसी बहाने वो दुनिया के सामने हिंदू या भगवा आतंकवाद की पुष्टि भी करना चाह रहे है..और हमारी मूर्खता से लगभग सफल भी हो रहे हैं...!!*

*जरा सोचिये वो केवल सत्ता के लिये कितने घटियापन पर उतर चुके है...कितने गिर चुके हैंं..???*

*दोस्तों,2019 का संघर्ष प्रारम्भ हो चुका है....वो कुरूक्षेत्र से अर्जुन (जनता) को दूर ले जाकर अभिमन्यु (मोदी) का वध करना चाहते है और सत्ता पाने के साथ वो समस्त सनातन वंश को बदनाम भी करना चाह रहे है...!!*

*हमारी समझदारी तो यही होना चाहिये कि हस्तिनापुर पर विधर्मियों को कब्जा करने से रोका जाय....रही बात हमारे बीच के किसी आपसी विवाद की...तो वो घर की बात है ...फिर बैठ कर समझ लिया जायेगा...!!*

*मै अपनी बात बताऊं..मुझे हर वो मामला या घटना,जिसमे मीडिया के पत्तलखोर लकडबग्घे ज्यादा छाती पीट कर रूदन करते है...तो मेरी छठी इंद्रीय सक्रिय हो जाती है... कि कुछ तो है...!!*
*और वो कभी गलत भी नही होती है...!!*
*क्या आपकी भी छठी इंद्रीय इतनी सजग है..???*

*#जयश्रीराम,🚩🚩🚩*
*#वन्देमातरम🚩🚩🚩*

Deepak Sharma बोले #आसाम में #नाबालिक गर्भवती से 5 दरिदों (आसिफ असलम आलम जुनैद ने किया बलात्कार



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Avi Dandiya Live | ड्रग्स और राजनेतीक नशा देश के युवा का भविष्य ख़त्म कर देगी। #PMO #Health #India

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Sukhdev Singh Gogamedi बोले #धारा 144 लागू होने के कारण 9 अप्रेल को होने वाला महापड़ाव स्थगित

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Avi Dandiya Live | Exposed Baba Ramdev Part 3 | अवि डंडिया का चन्दन तस्करी पर बड़ा खुलासा - 2018


Avi Dandiya Live | Exposed Baba Ramdev Part 3 | अवि डंडिया का चन्दन तस्करी पर बड़ा खुलासा - 2018
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Avi Dandiya Live | बाबा जी : भाग 2 | सवाल मेरे से नही बाबा जी करे की मुझे ग़लत साबित करे | 2018


Avi Dandiya Live | बाबा जी : भाग 2 | सवाल मेरे से नही बाबा जी करे की मुझे ग़लत साबित करे | 2018

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धार्मिक जंगलीपन के जाल में फंसाती पार्टियों की आईटी सेल!

 

देशभर के दलित संगठन कह रहे है कि हमने 2 अप्रैल 2018 के बंद की कॉल नहीं दी थी। हमने भी किसी भी दलित संगठनों के मुख्याओं की तरफ से कोई आह्वान नहीं सुना था। हमने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर स्टे लगवाने के लिए सरकार पर दबाव बनाने हेतु इस मुद्दे पर समर्थन किया था। हम अंत तक कहते रहे कि जो भी विरोध हो वो शांतिपूर्वक व अहिंसक हो लेकिन सुबह शुरुआत ही हिंसा से हुई।
धार्मिक जंगलीपन के जाल में फंसाती पार्टियों की आईटी सेल!

सवाल यही है कि यह 2 अप्रैल भारत बंद बुलाया किसने था ?

जितनी भी राजनैतिक पार्टियां है उन सबने अपने कार्यकर्ताओं को बंद का समर्थन करने की एडवाइजरी जारी की। यहां तक कि कई जगह तो सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के नेता आंदोलन की अगुवाई करते नजर आए! अब कुछ-कुछ साफ होने लगा है कि यह बंद दलितों का था ही नहीं!दलितों को मौहरा बनाकर एक बहुत बड़ा खेल खेला गया जिसमें हर राजनैतिक पार्टी जाने/अनजाने में फंस गई।

एक बात साफ है कि उत्तर भारत मे बीजेपी के लिए 2019 में डगर बड़ी कठिन है। वादे सारे जुमले बन गए, विकास श्रीराम जी की तरह अब 14 वर्ष के लिए अज्ञातवास पर चला गया है, बेरोजगारों की फौज तैयार होकर जवाब मांग रही है तो कुछ हटकर करना पड़ेगा!

धर्म इस देश मे ऐसा चरस है जिसके नशे में हर कोई झूमकर पागलपन की पराकाष्ठा लांघ जाता है। एकाएक आरक्षण व संविधान को गालियाँ देने की लहर कोई यूँ ही नहीं चली है!
धार्मिक जंगलीपन के जाल में फंसाती पार्टियों की आईटी सेल!

आप सोशल मीडिया में वायरल हो रहे संदेशों को ध्यान से, स्वविवेक से समझिये। 2 अप्रैल को दलितों का भारत बंद का आह्वान करते संदेशों, फोटो में कोई आयोजक नहीं मिलेगा बस समस्त दलित समाज लिखा मिलेगा।

कल शाम को जो नये संदेश उपलब्ध हो रहे है उसमें 10 अप्रैल को ओबीसी/जनरल द्वारा भारत बंद का आह्वान किया जा रहा है लेकिन कोई संगठन या पार्टी उसकी आयोजक नहीं है सिर्फ समस्त ओबीसी/जनरल समाज लिखा हुआ है तो उसी अंदाज में 10 अप्रैल के भारत बंद के विरोध के लिए वायरल हो रहे संदेशों में sc/st/obc/muslim लिखा आ रहा है लेकिन इन समाजों के किसी संगठन का नाम आयोजक के रूप में कहीं नजर नहीं आ रहा है।

एक बात कॉमन नजर आ रही है कि 10 अप्रैल के भारत बंद के समर्थन व विरोध, दोनों तरह के संदेशों में ओबीसी वर्ग लिखा आ रहा है।

जाहिर है कि जब कोई संगठन, पार्टी, समूह आयोजक ही नहीं है तो किसी से कोई परमिशन की जरूरत ही नहीं है! सड़कों पर उतरो और बेख़ौफ़ तोड़फोड़, आगजनी, हिंसा करते जाओ! जो 2 अप्रैल को नीला गमच्छा बांधकर हिंसा फैला रहे थे उसमे से ज्यादातर लोग 10 अप्रैल को केसरिया गमच्छा बांधकर हिंसा फैलाते नजर आएंगे। आज देशभर में आगजनी व हिंसा फैलाने वाले प्रोफेशनल लोगों की टीमें तैयार हो चुकी है। चंद पैसों के लिए आप जिस तरह का हिंसक विरोध-प्रदर्शन करवाना चाहते हो ये लोग करने को तैयार है। जातीय विद्वेष व धर्म के नाम पर ये छोटे-छोटे प्रोफेशनल दंगाई समूह बड़े स्तर पर हिंसा को अंजाम दे देते है क्योंकि भारतीय जनता धर्म की जकड़न में इतनी फंसी हुई है कि तुरंत इनके जाल में आकर सुध-बुध ख़ो देती है।

कल दलितों के नाम पर जो भारत बंद हुआ उसका एक उद्देश्य तो समझ में आया कि sc/st एक्ट में संशोधन का मुद्दा था लेकिन इतना बड़ा व हिंसक आंदोलन सिर्फ इस एक मुद्दे को लेकर नहीं हो सकता! जाहिर सी बात है कि व्हाटसअप यूनिवर्सिटी के माध्यम से बहुत से मुद्दों का घालमेल करके परोसा गया था। उसी प्रकार 10 अप्रैल के भारत बंद का उद्देश्य क्या है उसका कोई ठिकाना नहीं है लेकिन भारत बंद करना है तो करना है! व्हाटसअप के माध्यम से भगवा झंडे के साथ मुझे भी संदेश प्राप्त हो रहे है कि आरक्षण खत्म करवाना है और भेजने वाले सबके सब ओबीसी समाज के लोग है। मेरे यह समझ मे नहीं आ रहा है कि आरक्षण से ओबीसी वालों को क्या नुकसान हो रहा है ? आपको तो आबादी के हिसाब से 52% आरक्षण के लिए लड़ना चाहिए। दशकों के बाप-दादाओं के संघर्ष से मिल रही रोटी को तुम खुद ही ठोकर क्यों मारने जा रहे हो! जाहिर है ये लोग हिन्दू धर्म की चरस पिये व सुध-बुध खोए युवा है जो धर्म के चक्कर मे फंसकर अपना हित-अहित ही नहीं समझ पा रहे है!

रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा, चिकित्सा आदि मुद्दे राजनैतिक पार्टियों ने आईटी सेल के माध्यम से किनारे लगा दिए। इन भारत बंद के आयोजक आई टी सेल वाले है। धर्म व जाति के घालमेल में लपेटकर हम सबको हाँक रहे है। हमारी मुद्दों व समस्याओं पर उठती आवाज को नक्कारखाने में धकेल दिया गया है। अब सब कुछ उन्मादी भीड़ के माध्यम से ये आईटी सेल वाले तय कर रहे है कब, किसको व कहाँ ठेलना है। आईटी सेल आका है और युवा पीढ़ी उन्मादी भीड़ बनकर उनके फर्जी संदेशों पर झूम रही है। हमारे हाथ मे अब कुछ रहा नहीं है! हम खामोश दर्शक बनकर बर्बादी के मंजर में जाते देश को मात्र देख पा रहे है!
धार्मिक जंगलीपन के जाल में फंसाती पार्टियों की आईटी सेल!

देश का मीडिया अपनी विश्वसनीयता पूर्ण रूप से ख़ो चुका है और जिस सोशल मीडिया को हम अपना मीडिया मान रहे है वो आईटी सेल वालों के कब्जे में जाता दिख रहा है।

हम भी कमेंट, लाइक वाली टीआरपी में फंसकर सबसे पहले सूचना देने के चक्कर मे फंस गए है! फटाफट के दौर में हमारे अंदर भी धैर्य नहीं रह गया है! हम भी इन आईटी सेल के जाल में फंसकर अफवाहों को फैलाने का माध्यम बनते जा रहे है! यही कारण है कुछ लोग आंदोलन करते है तो कुछ लोग आंदोलन के खिलाफ मैदान में उतर जाते है। सरकार तटस्थ बनकर देखती है व बीच-बीच मे पुलिस को भी तीसरे हिंसक ग्रुप के रूप में धकेल दे रही है! अगर हम सावचेत होकर 10 अप्रैल के भारत बंद की हवा निकालने में असफल हो गए तो देश अघोषित गृहयुद्ध जैसे हालातों में चला जायेगा! बेशक दंगो व फसाद से कुछ राजनैतिक समीकरण सेट हो जाएंगे और हो सकता हो वर्तमान सत्ता 2019 में दुबारा आ जाये लेकिन इस देश के सीने में ऐसा जख्म हो जाएगा जिसको भरने में सदियों गुजर जाएगी!

सावधान रहिये, सतर्क रहिये।धार्मिक उन्माद बनने के बजाय अच्छे नागरिक बनने की कोशिश करिये। यह देश हमारा अपना है और इसको सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी हर नागरिक की है।

देखिए तीनों फोटो को और अपने दिमाग की धर्म के धुन्धकार मे गुल होती बत्ती को विवेक व तर्क के तेल से जलाकर समझिये!

By Mahavir Parsed 

फेसबुक पर मौजूद सभी महिलाएं एक बार यह कहानी जरूर


पढ़े.....
सलोनी ने आज कई दिनों के बाद फेसबुक खोला था, एग्जाम
के कारण उसने अपने स्मार्ट फोन से दूरी बना ली थी,
फेसबुक ओपन हुआ तो उसने देखा की 35-40 फ्रेंड रिक्वेस्ट
पेंडिंग पड़ी थीं,
उसने एक सरसरी निगाह से सबको देखना शुरू कर दिया, तभी
उसकी नज़र एक लड़के की रिक्वेस्ट पर ठहर गई, उसका नाम
राजशर्मा था,
बला का स्मार्ट और हैंडसम दिख रहा था अपनी डी पी मे,
सलोनी ने जिज्ञासावश उसके बारे मे पता करने के लिये
उसकी प्रोफाइल खोल कर देखी तो वहाँ पर उसने एक से
बढ़कर एक रोमान्टिक शेरो शायरी और कवितायेँ पोस्ट की
हुई थीं, उन्हें पढ़कर वो इम्प्रेस हुए बिना नहीं रह पाई, और
फिर उसने राज की रिक्वेस्ट एक्सेप्टकर ली, अभी उसे राज की
रिक्वेस्ट एक्सेप्ट किये हुए कुछ ही देर हुई होगी की उसके
मैसेंजर का नोटिफिकेशनटिंग के साथ बज उठा,
उसने चेक करा तो वो राज का मैसेज था, उसने उसे खोल कर
देखा तो उसमें राज ने लिखा था " थैंक यू वैरी मच ",
वो समझ तो गई थी की वो क्यों थैंक्स कह रहा है फिर भी
उससे मज़े लेने के लिये उसने रिप्लाई करा " थैंक्स किसलिये ?"
उधर से तुरंत जवाब आया " मेरी रिक्वेस्ट एक्सेप्ट करने के लिये
",
सलोनी ने कोई जवाब नहीं दिया बस एक स्माइली वाला
स्टीकर पोस्ट कर दिया और फिर मैसेंजर बंद कर दिया, वो
नहीं चाहती थी की एक ही दिन मे किसी अनजान से ज्यादा
खुल जाये और फिर वो घर के कामों मे व्यस्त हो गई,
अगले दिन उसने अपना फेसबुक खोला तो उसे राज के मैसेज
नज़र आये, राज ने उसे कई रोमान्टिक कवितायेँ भेज रखीं थीं,
उन्हें पढ़ कर उसे बड़ा अच्छा लगा, उसने जवाब मे फिर से
स्माइली वाला स्टीकर सेंड कर दिया,
थोड़ी देर मे ही राज का रिप्लाई आ गया, वो उससे उसके
उसकी होबिज़ के बारे मे पूँछ रहा था,
उसने राज को अपना संछिप्त परिचय दे दिया, उसका परिचय
जानने के बाद राज ने भी उसे अपने बारे मे बताया कि वो एम
बी ए कर रहा है और जल्दी ही उसकी जॉब लग जायेगी,
और फिर इस तरह से दोनों के बीच चैटिंग का सिलसिला चल
निकला,
सलोनी की राज से दोस्ती हुए अब तक डेढ़ महीना हो चुका
था,
सलोनी को अब उसके मेसेज का इंतज़ार रहने लगा था,
जिस दिन उसकी राज से बात नहीं हो पाती थी तो उसे
लगता जैसे कुछ अधूरापन सा है, राज उसकी ज़िन्दगी की
आदत बनता जा रहा था,आज रात फिर सलोनी राज से चैटिंग
कर रही थी, इधर-उधर की बात होने के बाद राज ने सलोनी
से कहा ...
" यार हम कब तक यूंहीं सिर्फ फेसबुक पर बाते करते रहेंगे, यार
मै तुमसे मिलना चाहता हूँ, प्लीज कल मिलने का प्रोग्राम
बनाओ ना ",
सलोनी खुद भी उससे मिलना चाहती थी और एक तरह से
उसने उसके दिल की ही बात कह दी थी लेकिन पता नहीं
क्यों वो उससे मिलने से डर रही थी,
शायद अंजान होने का डर था वो,
सलोनी ने यही बात राज से कह दी," अरे यार इसीलिये तो
कह रहा हूँ की हमें मिलना चाहिये, जब हम मिलेंगे तभी तो एक
दूसरे को जानेंगे "
राज ने उसे समझाते हुए मिलने की जिद्द की," अच्छा ठीक है
बोलो कहाँ मिलना है, लेकिन मै ज्यादा देर नहीं रुकुंगी वहाँ "
सलोनी ने बड़ी मुश्किल से उसे हाँ की,"
ठीक है तुम जितनी देर रुकना चाहो रुक जाना " राज ने
अपनी खुशी छिपाते हुए उसे कहा,
और फिर वो सलोनी को उस जगह के बारे मे बताने लगा जहाँ
उसे आना था,
अगले दिन शाम को 6 बजे, शहर के कोने मे एक सुनसान जगह
पर एक पार्क, जहाँ पर सिर्फ प्रेमी जोड़े ही जाना पसंद
करते थे, शायद एकांत के कारण, राज ने सलोनी को वहीँ पर
बुलाया था,
थोड़ी देर बाद ही सलोनी वहाँ पहुँच गई,
राज उसे पार्क के बाहर गेट के पास अपनी कार से पीठ लगा
के खड़ा हुआ नज़र आ गया,
पहली बार उसे सामने देख कर वो उसे बस देखती ही रह गई,
वो अपनी फोटोज़ से ज्यादा स्मार्ट और हैंडसम था,
सलोनी को अपनी तरफ देखता हुआ देखकर उसने उसे अपने
पास आने का इशारा करा, उसके इशारे को समझकर वो उसके
पास आ गई और मुस्कुरा कर बोली "
हाँ अब बोलो मुझे यहाँ किसलिये बुलाया है "
" अरे यार क्या सारी बात यहीं सड़क पर खड़ी-2 करोगी,
आओ कार मे बैठ कर बात करते हैं "
और फिर राज ने उसे कार मे बैठने का इशारा करके कार का
पिछला गेट खोल दिया, उसकी बात सुनकर सलोनी मुस्कुराते
हुए कार मे बैठने के लिये बढ़ी,
जैसे ही उसने कार मे बैठने के लिये अपना पैर अंदर रखा तो उसे
वहाँ पर पहले से ही एक आदमी बैठा हुआ नज़र आया,
शक्ल से वो आदमी कहीँ से भी शरीफ नज़र नहीं आ रहा था,
सलोनी के बढ़ते कदम ठिठक गये, वो पलट कर राज से पूँछने ही
जा रही थी की ये कौन है कि तभी उस आदमी ने उसका हाँथ
पकड़ कर अंदर खींच लिया और बाहर से राज ने उसे अंदरधक्का
दे दिया,
ये सब कुछ इतनी तेजी से हुआ की वो संभल भी नहीं पाई,
और फिर अंदर बैठे आदमी ने उसका मुँह कसकर दबा लिया
ताकि वो चीख ना पाये और उसकेहाँथों को राज ने पकड़
लिया,
अब वो ना तो हिल सकती थी और ना ही चिल्ला सकती
थी, और तभी कार से दूर खडा एक आदमी कार मे आ के
ड्राइविंग सीट पर बैठ गया और कार स्टार्ट करके तेज़ी से
आगे बढ़ा दी,और पीछे बैठा आदमी जिसने सलोनी का मुँह
दबा रखा था वो हँसते हुए राज से बोला " वाह असलम भाई
वाह....... मज़ा आ गया...... आज तो तुमने तगड़े माल पर
हाँथ साफ़ करा है...
शबनम बानो इसकी मोटी कीमत देगी "
उसकी बात सुनकर असलम उर्फ़ राज मुँह ऊपर उठा कर ठहाके
लगा के हँसा, उसे देख कर ऐसा लग रहा था जैसे कोई
भेड़ियाअपने पँजे मे शिकार को दबोच के हँस रहा हो,
और वो कार तेज़ी से शहर के बदनाम इलाके जिस्म की मंडी
की तरफ दौड़ी जा रही थी.....
ये कोई कहानी नहीं बल्कि सच्चाई है छत्तीसगढ़ की
सलोनी ।
जो मुम्बई से छुड़ाई गई है ।
ये सलोनी की कहानी उन लड़कियो को सबक देती है जो
सोशल मीडिया से अनजान लोगो से दोस्ती कर लेती है और
अपनी जिंदगी गवां लेती है ।
शेयर जरूर करे ताकि कोई और सलोनी ऐसी दलदल में ना फंस
जाए ...

Avi Dandiya Was Live With Arif Ansari | हाईकोर्ट के वकील के साथ अवि डांडिया की खास | Debate

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जमीदार भाईयो ये गन्ने की बिजाई का नया तरीका है जिस से गन्ना 3 गुणा ज्यादा निकलता है ।।ज्यादा से ज्यादा शेयर करे ताकि गन्ने की खेती करने वाले जमीदार भाईयों तक ये पहुंच जाऐ ।

जमीदार
गन्ना लगाने की गडढा बुवाई विधि भरतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, द्वारा विकसित की गई हैं। दरअसल गन्ना बुवाई के  पश्चात प्राप्त गन्ने की फसल में मातृ गन्ने एवं कल्ले दोनों  बनते है । मातृ गन्ने बुवाई के  30-35 दिनों के  बाद निकलते हैं, जबकि कल्ले मातृ गन्ने निकलने के  45-60 दिनों  बाद निकलते है। इस कारण मातृ गन्नों  की अपेक्षा कल्ले कमजोर होते है तथा इनकी लंबाई, मोटाई और  वजन भी कम होता है । उत्तर भारत में गन्ने में  लगभग 33 प्रतिशत  अंकुरण हो  पाता है, जिससे मातृ गन्नों  की संख्या लगभग 33000 हो पाती है, शेष गन्ने कल्लों  से बनते है जो अपेक्षाकृत कम वजन के होते है। इसलिये यह आवश्यक है कि प्रति हैक्टेयर अधिक से अधिक मातृ गन्ने प्राप्त करने के  लिए प्रति इकाई अधिक से अधिक गन्ने के  टुकड़ों को बोया जाए। गोल  आकार के  गड्ढों  में गन्ना बुवाई करने की विधि को  गड्ढा बुवाई विधि कहते हैं।

इस विधि को  कल्ले रहित तकनीक भी कहते हैं। इस विधि से गन्ना लगाने के  लिए सबसे पहले खेत के  चारों  तरफ 65 सेमी. जगह छोड़े तथा लंबाई व चौड़ाई में 105 सेमी. की दूरी पर पूरे खेत में रस्सी से पंक्तियों के निशान बना लें। इन पंक्तियों के कटान बिंदु पर  75 सेमी. व्यास व 30 सेमी. गहराई वाले 8951 गड्ढे तैयार कर लें।  अब संस्तुत स्वस्थ गन्ना किस्म के  ऊपरी आधे भाग से दो  आँख वाले टुकड़े सावधानी पूर्वक काट लें। इसके पश्चात 200 ग्राम बावस्टिन का 100 लीटर पानी में घोल बनाकर 10-15 मिनट तक डुबों  कर रखें। बुवाई पूर्व प्रत्येक गड्ढे में 3 किग्रा. गोबर की खाद 8 ग्राम यूरिया, 20 ग्राम डी.ए.पी., 16 ग्राम पोटाश, और  2 ग्राम जिंक सल्फेट डालकर मिट्टी में अच्छी प्रकार मिलाते है। अब प्रत्येक गड्ढे में साइकिल के  पहिये में लगे स्पोक की भांति, दो  आँख वाले उपचारित गन्ने के  20 टुकड़ों को गड्ढे में विछा दें। तत्पश्चात 5 लीटर क्लोरपायरीफास 20 ईसी को  1500-1600 लीटर पानी में घोल कर प्रति हैक्टेयर की दर से गन्ने के टुकड़ों के   ऊपर छिड़क दें । इसके  अलावा ट्राइकोडर्मा 20 किग्रा. को  200 किग्रा. गोबर की खाद के  साथ मिलाकर प्रति हैक्टेयर की दर से टुकड़ों के ऊपर डाल दें। प्रत्येक गड्ढे में सिंचाई करने के  लिए गड्ढों को एक दूसरे से पतली नाली बनाकर जोड़ दें । अब गड्ढो  में रखे गन्ने के  टुकड़ो  पर  2-3 सेमी. मिट्टी डालकर ढंक दें। यदि मिट्टी में नमी कम हो तो हल्की सिंचाई करें। खेत में उचित ओट आने पर हल्की गुड़ाई करें जिससे टुकड़ो  का अंकुरण अच्छा होता हैं। चार पत्ती की अवस्था आ जाने पर (बुवाई के  50-55 दिन बाद) प्रत्येक गड्ढे में 5-7 सेमी. मिट्टी भरें और  हल्की सिंचाई करें तथा ओट आने पर प्रत्येक गड्ढे में 16 ग्राम यूरिया खााद डालें। मिट्टी की नमी तथा मौसम की परिस्थितियों  के  अनुसार 20-25 दिनों  के  अन्तराल पर हल्की सिंचाई और  आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई भी करते रहें। जून के  तीसरे सप्ताह में प्रत्येक गड्ढे में 16 ग्राम यूरिया डालें। जून के  अंतिम सप्ताह तक  प्रत्येक गड्ढे को  मिट्टी से पूरी तरह भर दें। मानसून शुरू होने से पूर्व प्रत्येक थाल में मिट्टी चढ़ा दें। अगस्त माह के  प्रथम पखवाड़े में प्रत्येक गड्ढे के  गन्नों  को  एक साथ नीचे की सूखी पत्तियों  से बांध दें। सितम्बर माह में दो  पंक्तियों  के  आमने-सामने के  गन्ने के  थालों  को आपस में मिलाकर (केंचीनुमा आकार में )बांधे तथा गन्ने की निचली सूखी पत्तियों  को  निकाल दें। अच्छी पेड़ी के  लिए जमीन की सतह से कटाई करें। ऐसा करने से उपज में भी बढ़ोत्तरी होती हैं। सामान्य विधि की अपेक्षा इस विधि द्वारा डेढ से दो  गुना अधिक उपज प्राप्त होती है। केवल गड्ढों  में ही सिंचाई करने के  कारण 30-40 प्रतिशत तक सिंचाई जल की बचत ह¨ती है। मातृ गन्नों  में शर्करा की मात्रा कल्लों  से बने गन्ने की अपेक्षा अधिक होती है । इस विधि से लगाये गये गन्ने से 3-4 पेड़ी फसल आसानी से ली जा सकती हैं।
क्षेत्र विशेष के अनुसार उन्नत किस्म के गन्ने का चयन और बुआई की नवीनतम वैज्ञानिक विधि के अलावा गन्ना फसल की बुआई उपयुक्त समय पर (शरद्कालीन बुआई सर्वश्रेष्ठ ) करें तथा आवश्कतानुसार उर्वरकों एवं सिचाई का प्रयोग करें और पौध सरंक्षण उपाय भी अपनाएँ।   समस्त सस्य कार्य समय पर सम्पन्न करने पर गन्ने से 100 टन प्रति हेक्टेयर उपज लेकर भरपूर मुनाफा कमाने का मूलमन्त्र यही है।

By :-

डाँ.गजेन्द्र सिंह तोमर
                                                 प्रमुख वैज्ञानिक,सस्यविज्ञान विभाग,
                                               इंदिरा गांधी कृषि विश्व विद्यालय, रायपुर

Kajal Hindustani बोली #राम मंदिर के अंतिम निर्णय पर कांग्रेस और विपक्षी गैंग को परेशानी क्यूँ?

Kajal Hindustani बोली #राम मंदिर के अंतिम निर्णय पर कांग्रेस और विपक्षी गैंग को परेशानी क्यूँ?
#शेयर रुकना नही चाहिए

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फेसबुक की झूठी शान और तार तार होते रिश्ते : फेसबुक एक बेहतरीन माध्यम है एक दूसरे तक अपनी बात पहुचाने का, 
फेसबुक की झूठी शान और तार तार होते रिश्ते

मोदी जी के चुनाव से शुरू हुआ राष्ट्रवाद का बुखार सब कर सर चढ़ कर बोल रहा था, नए रिश्ते बने, बड़ी जल्दी प्रगाढ़ भी हो गए, एक दूसरे से फ़ोन पर बात के बाद मिलना जुलना भी शुरू हो गया सबका, पर मैं इस से थोड़ा दूर ही रहा, आज लगता है अच्छा ही हुआ, ख़ैर... पहले तो राष्ट्रवादियों ने मिलकर विरोधियों को जम कर धोया, विरोधी उन्फ़्रेंड कर के भाग खड़े हुए, अब हर किसी की लिस्ट में सिर्फ राष्ट्रवादी ही बचे थे, लड़ने की आदत से मजबूर राष्ट्रवादी अक्सर आपस मे उलझते देखे गए, मैं इस सब से भी दूर अपने मे मस्त रहा, अब कुछ दिन पहले बड़ा बवाल हो गया, किताब को बहाना बना कर सब एक दूसरे पर टूट पड़े, जमकर एक-दूसरे पर हमले हुए, जिसमें न रिश्तों का ख्याल रखा गया ना ही उम्र, तजुर्बे और सम्मान का, रिश्ते तार तार होते देख कर बहुत दुख हुआ, कल के लड़के अपने पिता की उम्र के व्यक्तियों को गालियां द्दे रहे थे, तो वहीँ सती सावित्री टाइप राष्ट्रवादियों के स्क्रीनशॉट मार्किट में आ गए, कुल मिलाकर सब नंगे हो गए, और सिर्फ एक बात समझ में आई ये सब बहुत हल्के लोग निकले, मेरी नज़र में तो इनकी इज़्ज़त खत्म ही हो गयी, मैं इन सब लफड़ों से दूर रहा उसके बाद भी इशारों में बिना बात के मुझे नए मठाधीश कह कर घसीटने का प्रयास किया गया, हर बार की तरह मैने इस बार भी इग्नोर कर दिया, क्योंकि लड़ाई स्तरहीन हो चुकी थी, और मुझ से इतना नही गिरा जाता, बेरहाल एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप के बीच बड़े मठाधीशों को भी घसीटा गया परिवार के सदस्यों को भी बुरा भला कहा गया जो कि मेरी नज़र में अक्षम्य पाप है ।

फेसबुक की झूठी शान और तार तार होते रिश्ते

पिछले 2 साल से हर लफड़े में एक ही व्यक्ति का नाम आना उंस व्यक्ति की छवि को थार का मरुस्थल बना गया, तो कई अच्छा लिखने वाले भी एक्सपोज़ हो गए, अलग अलग गुट बनने के बाद सब पहलवान पर चढ़ बैठे, वे समझे कि वे जीत रहे हैं पर अचानक पहलवान ने एक साथ सबको धोबी पछाड़ द्दे दी, सभी चारों खाने चित, पहलवान ने अचानक माफी मांग कर सबका दिल जीत लिया, एक बात तो पक्की है रिंग हो या राजनीति पहलवान का कोई सानी नही, पहलवान एक बार फिर सर्वशक्तिमान बन कर उभरे, और उनसे टकराने वाले अपनी ईगो और झूठी शान के चलते अपनी साख गवां बैठे, मेरी नज़र में वो बड़ा होता है जो माफी मांग सके, जो अपनी अकड़ में हैं खूब रहें बस इज़्ज़त नही मिलनी, इसलिए अब भी मौका है, सब के पास अपनी अपनी वाल है बिना अकड़ के बिना शर्त और लाग लपेट माफी मांग लीजिये, दुनिया आपको पहले से ज़्यादा प्यार देगी, वर्ना कोई कहेगा नही पर दिल से तो आप सबके उतर ही जाओगे, जो इज़्ज़त खो दी है उसे दोबारा कमाइए,

हालांकि इस लड़ाई से 1 महीने से अधिक समय पहले 23 फरवरी को मैंने एक पोस्ट के माध्यम से सलाह दी थी कि लड़ाई बन्द कर दी जाए, क्योंकि मेरा एनालिसिस था कि अब लड़ाई नही गंदगी फैलेगी, हुआ भी वही https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=10214672639185114&id=1097361624

इस सब से व्यथित हो कर हमारे सेठ जी FB ही छोड़ कर चले गए, देश मे दंगे हो रहे हैं और तोप रूपी मठाधीशों की वाल शांत पड़ी है, इतने नाजुक समय मे FB छोड़ कर जाना या कोई पोस्ट ना करना देश के लिए घातक सिद्ध होगा, इसलिए मेरा गिरधारी लाल गोयल सेठ जी और बाकी सभी मठाधीशों से निवेदन है कि वे अपनी अपनी वाल से फायरिंग शुरू करें, एकजुट हो कर बंगाल के हिन्दुओ की रक्षा करें, मुझे पूरा विश्वास है सेठ जी राष्ट्र और हिंदुत्व की खातिर अपना गुस्सा थूक कर तुरंत वापसी करेंगे, और भी जो लोग गए हैं या मनमुटाव के चलते निष्क्रिय हैं उन सब महान् योद्धाओं से एक बार पुनः निवेदन है "खून है पुकारता, पुकारती माँ भारती" इसलिए लौट आओ मेरे योद्धाओं और दिख दो दुनिया को की हम एक है, हम सर्वशक्तिमान, हम अजय है, हम ही वीर हैं, हर हर महादेव, जय श्री राम ।
फेसबुक लेखक व हिन्दू धर्म रक्षक नितिन शुक्ला लिखा गया लेख
फेसबुक की झूठी शान और तार तार होते रिश्ते

समोसे वाला ओर मैनेजर 

समोसे वाला ओर मैनेजर

 एक बडी कंपनी के गेट के सामने एक प्रसिद्ध समोसे की दुकान थी, लंच टाइम मे अक्सर कंपनी के कर्मचारी वहाँ आकर समोसे खाया करते थे।
एक दिन कंपनी के एक मैनेजर समोसे खाते खाते समोसेवाले से मजाक के मूड मे आ गये।
मैनेजर साहब ने समोसेवाले से कहा, "यार गोपाल, तुम्हारी दुकान तुमने बहुत अच्छे से maintain की है, लेकीन क्या तुम्हे नही लगता के तुम अपना समय और टैलेंट समोसे बेचकर बर्बाद कर रहे हो.? सोचो अगर तुम मेरी तरह इस कंपनी मे काम कर रहे होते तो आज कहा होते.. हो सकता है शायद तुम भी आज मैंनेजर होते मेरी तरह.."
इस बात पर समोसेवाले गोपाल ने बडा सोचा, और बोला, " सर ये मेरा काम अापके काम से कही बेहतर है, 10 साल पहले जब मै टोकरी मे समोसे बेचता था तभी आपकी जाॅब लगी थी, तब मै महीना हजार रुपये कमाता था और आपकी पगार थी १० हजार।
इन 10 सालो मे हम दोनो ने खूब मेहनत की..
आप सुपरवाइजर से मॅनेजर बन गये.
और मै टोकरी से इस प्रसिद्ध दुकान तक पहुँच गया.
आज आप महीना ५०,००० कमाते है
और मै महीना २,००,०००
लेकिन इस बात के लिए मै मेरे काम को आपके काम से बेहतर नही कह रहा हूँ।
ये तो मै बच्चों के कारण कह रहा हूँ।
जरा सोचिए सर मैने तो बहुत कम कमाई पर धंधा शुरू किया था, मगर मेरे बेटे को यह सब नही झेलना पडेगा।
मेरी दुकान मेरे बेटे को मिलेगी, मैने जिंदगी मे जो मेहनत की है, वो उसका लाभ मेरे बच्चे उठाएंगे। जबकी आपकी जिंदगी भर की मेहनत का लाभ आपके मालिक के बच्चे उठाएंगे।
अब आपके बेटे को आप डाइरेक्टली अपनी पोस्ट पर तो नही बिठा सकते ना.. उसे भी आपकी ही तरह जीरो से शुरूआत करनी पडेगी.. और अपने कार्यकाल के अंत मे वही पहुच जाएगा जहाँ अभी आप हो।
जबकी मेरा बेटा बिजनेस को यहा से और आगे ले जाएगा..
और अपने कार्यकाल मे हम सबसे बहुत आगे निकल जाएगा..
अब आप ही बताइये किसका समय और टैलेंट बर्बाद हो रहा है ?"
मैनेजर साहब ने समोसेवाले को २ समोसे के २० रुपये दिये और बिना कुछ बोले वहाँ से खिसक लिये.......!!!....

मेरे पापा की औकात फुरसत मे आराम से पढे*


पाँच दिन की छूट्टियाँ बिता कर जब ससुराल पहुँची तो पति घर के सामने स्वागत में खड़े थे।
अंदर प्रवेश किया तो छोटे से गैराज में चमचमाती गाड़ी खड़ी थी स्विफ्ट डिजायर!

मैंने आँखों ही आँखों से पति से प्रश्न किया तो उन्होंने गाड़ी की चाबियाँ थमाकर कहा:-"कल से तुम इस गाड़ी में कॉलेज जाओगी प्रोफेसर साहिबा!"

"ओह माय गॉड!!''

ख़ुशी इतनी थी कि मुँह से और कुछ निकला ही नही। बस जोश और भावावेश में मैंने तहसीलदार साहब को एक जोरदार झप्पी देदी और अमरबेल की तरह उनसे लिपट गई। उनका गिफ्ट देने का तरीका भी अजीब हुआ करता है।

सब कुछ चुपचाप और अचानक!!

खुद के पास पुरानी इंडिगो है और मेरे लिए और भी महंगी खरीद लाए।

6 साल की शादीशुदा जिंदगी में इस आदमी ने न जाने कितने गिफ्ट दिए।
गिनती करती हूँ तो थक जाती हूँ।
ईमानदार है रिश्वत नही लेते । मग़र खर्चीले इतने कि उधार के पैसे लाकर गिफ्ट खरीद लाते है।

लम्बी सी झप्पी के बाद मैं अलग हुई तो गाडी का निरक्षण करने लगी। मेरा फसन्दीदा कलर था। बहुत सुंदर थी।

फिर नजर उस जगह गई जहाँ मेरी स्कूटी खड़ी रहती थी।
हठात! वो जगह तो खाली थी।

"स्कूटी कहाँ है?" मैंने चिल्लाकर पूछा।

"बेच दी मैंने, क्या करना अब उस जुगाड़ का? पार्किंग में इतनी जगह भी नही है।"

"मुझ से बिना पूछे बेच दी तुमने??"

"एक स्कूटी ही तो थी; पुरानी सी। गुस्सा क्यूँ होती हो?"

उसने भावहीन स्वर में कहा तो मैं चिल्ला पड़ी:-"स्कूटी नही थी वो।

मेरी जिंदगी थी। मेरी धड़कनें बसती थी उसमें। मेरे पापा की इकलौती निशानी थी मेरे पास।

 मैं तुम्हारे तौफे का सम्मान करती हूँ मगर उस स्कूटी के बिना पे नही। मुझे नही चाहिए तुम्हारी गाड़ी। तुमने मेरी सबसे प्यारी चीज बेच दी। वो भी मुझसे बिना पूछे।'"

मैं रो पड़ी।
शौर सुनकर मेरी सास बाहर निकल आई।

उसने मेरे सर पर हाथ फेरा तो मेरी रुलाई और फुट पड़ी।

 "रो मत बेटा, मैंने तो इससे पहले ही कहा था।

 एक बार बहु से पूछ ले। मग़र बेटा बड़ा हो गया है।

 तहसीलदार!! माँ की बात कहाँ सुनेगा?

मग़र तू रो मत।

और तू खड़ा-खड़ा अब क्या देख रहा है वापस ला स्कूटी को।"
तहसीलदार साहब गर्दन झुकाकर आए मेरे पास।

 रोते हुए नही देखा था मुझे पहले कभी।
प्यार जो बेइन्तहा करते हैं।

याचना भरे स्वर में बोले:- सॉरी यार! मुझे क्या पता था वो स्कूटी तेरे दिल के इतनी करीब है। मैंने तो कबाड़ी को बेचा है सिर्फ सात हजार में। वो मामूली पैसे भी मेरे किस काम के थे? यूँ ही बेच दिया कि गाड़ी मिलने के बाद उसका क्या करोगी? तुम्हे ख़ुशी देनी चाही थी आँसू नही। अभी जाकर लाता हूँ। "
फिर वो चले गए।

मैं अपने कमरे में आकर बैठ गई। जड़वत सी।

 पति का भी क्या दोष था।

हाँ एक दो बार उन्होंने कहा था कि ऐसे बेच कर नई ले ले।

 मैंने भी हँस कर कह दिया था कि नही यही ठीक है।
लेकिन अचानक स्कूटी न देखकर मैं बहुत ज्यादा भावुक हो गई थी। होती भी कैसे नही।

वो स्कूटी नही #"औकात" थी मेरे पापा की।

जब मैं कॉलेज में थी तब मेरे साथ में पढ़ने वाली एक लड़की नई स्कूटी लेकर कॉलेज आई थी। सभी सहेलियाँ उसे बधाई दे रही थी।
तब मैंने उससे पूछ लिया:- "कितने की है?
उसने तपाक से जो उत्तर दिया उसने मेरी जान ही निकाल ली थी:-" कितने की भी हो? तेरी और तेरे पापा की औकात से बाहर की है।"

अचानक पैरों में जान नही रही थी। सब लड़कियाँ वहाँ से चली गई थी। मगर मैं वही बैठी रह गई। किसी ने मेरे हृदय का दर्द नही देखा था। मुझे कभी यह अहसास ही नही हुआ था कि वे सब मुझे अपने से अलग "गरीब"समझती थी। मगर उस दिन लगा कि मैं उनमे से नही हूँ।
घर आई तब भी अपनी उदासी छूपा नही पाई। माँ से लिपट कर रो पड़ी थी। माँ को बताया तो माँ ने बस इतना ही कहा" छिछोरी लड़कियों पर ज्यादा ध्यान मत दे! पढ़ाई पर ध्यान दे!"
रात को पापा घर आए तब उनसे भी मैंने पूछ लिया:-"पापा हम गरीब हैं क्या?"
तब पापा ने सर पे हाथ फिराते हुए कहा था"-हम गरीब नही हैं बिटिया, बस जरासा हमारा वक़्त गरीब चल रहा है।"
फिर अगले दिन भी मैं कॉलेज नही गई। न जाने क्यों दिल नही था। शाम को पापा जल्दी ही घर आ गए थे। और जो लाए थे वो उतनी बड़ी खुशी थी मेरे लिए कि शब्दों में बयाँ नही कर सकती। एक प्यारी सी स्कूटी। तितली सी। सोन चिड़िया सी। नही, एक सफेद परी सी थी वो। मेरे सपनों की उड़ान। मेरी जान थी वो। सच कहूँ तो उस रात मुझे नींद नही आई थी। मैंने पापा को कितनी बार थैंक्यू बोला याद नही है। स्कूटी कहाँ से आई ? पैसे कहाँ से आए ये भी नही सोच सकी ज्यादा ख़ुशी में। फिर दो दिन मेरा प्रशिक्षण चला। साईकिल चलानी तो आती थी। स्कूटी भी चलानी सीख गई।
पाँच दिन बाद कॉलेज पहुँची। अपने पापा की "औकात" के साथ। एक राजकुमारी की तरह। जैसे अभी स्वर्णजड़ित रथ से उतरी हो। सच पूछो तो मेरी जिंदगी में वो दिन ख़ुशी का सबसे बड़ा दिन था। मेरे पापा मुझे कितना चाहते हैं सबको पता चल गया।
मग़र कुछ दिनों बाद एक सहेली ने बताया कि वो पापा के साईकिल रिक्सा पर बैठी थी। तब मैंने कहा नही यार तुम किसी और के साईकिल रिक्शा पर बैठी हो। मेरे पापा का अपना टेम्पो है।
मग़र अंदर ही अंदर मेरा दिमाग झनझना उठा था। क्या पापा ने मेरी स्कूटी के लिए टेम्पो बेच दिया था। और छः महीने से ऊपर हो गए। मुझे पता भी नही लगने दिया।
शाम को पापा घर आए तो मैंने उन्हें गोर से देखा। आज इतने दिनों बाद फुर्सत से देखा तो जान पाई कि दुबले पतले हो गए है। वरना घ्यान से देखने का वक़्त ही नही मिलता था। रात को आते थे और सुबह अँधेरे ही चले जाते थे। टेम्पो भी दूर किसी दोस्त के घर खड़ा करके आते थे।
कैसे पता चलता बेच दिया है।
मैं दौड़ कर उनसे लिपट गई!:-"पापा आपने ऐसा क्यूँ किया?" बस इतना ही मुख से निकला। रोना जो आ गया था।
" तू मेरा ग़ुरूर है बिटिया, तेरी आँख में आँसू देखूँ तो मैं कैसा बाप? चिंता ना कर बेचा नही है। गिरवी रखा था। इसी महीने छुड़ा लूँगा।"
"आप दुनिया के बेस्ट पापा हो। बेस्ट से भी बेस्ट।इसे सिद्ध करना जरूरी कहाँ था? मैंने स्कूटी मांगी कब थी?क्यूँ किया आपने ऐसा? छः महीने से पैरों से सवारियां ढोई आपने। ओह पापा आपने कितनी तक़लीफ़ झेली मेरे लिए ? मैं पागल कुछ समझ ही नही पाई ।" और मैं दहाड़े मार कर रोने लगी। फिर हम सब रोने लगे। मेरे दोनों छोटे भाई। मेरी मम्मी भी।
पता नही कब तक रोते रहे ।
वो स्कूटी नही थी मेरे लिए। मेरे पापा के खून से सींचा हुआ उड़नखटोला था मेरा। और उसे किसी कबाड़ी को बेच दिया। दुःख तो होगा ही।
अचानक मेरी तन्द्रा टूटी। एक जानी-पहचानी सी आवाज कानो में पड़ी। फट-फट-फट,, मेरा उड़नखटोला मेरे पति देव यानी तहसीलदार साहब चलाकर ला रहे थे। और चलाते हुए एकदम बुद्दू लग रहे थे। मगर प्यारे से बुद्दू। मुझे बेइन्तहा चाहने वाले राजकुमार बुद्दू.
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