फेसबुक की झूठी शान और तार तार होते रिश्ते : फेसबुक एक बेहतरीन माध्यम है एक दूसरे तक अपनी बात पहुचाने का,
मोदी जी के चुनाव से शुरू हुआ राष्ट्रवाद का बुखार सब कर सर चढ़ कर बोल रहा था, नए रिश्ते बने, बड़ी जल्दी प्रगाढ़ भी हो गए, एक दूसरे से फ़ोन पर बात के बाद मिलना जुलना भी शुरू हो गया सबका, पर मैं इस से थोड़ा दूर ही रहा, आज लगता है अच्छा ही हुआ, ख़ैर... पहले तो राष्ट्रवादियों ने मिलकर विरोधियों को जम कर धोया, विरोधी उन्फ़्रेंड कर के भाग खड़े हुए, अब हर किसी की लिस्ट में सिर्फ राष्ट्रवादी ही बचे थे, लड़ने की आदत से मजबूर राष्ट्रवादी अक्सर आपस मे उलझते देखे गए, मैं इस सब से भी दूर अपने मे मस्त रहा, अब कुछ दिन पहले बड़ा बवाल हो गया, किताब को बहाना बना कर सब एक दूसरे पर टूट पड़े, जमकर एक-दूसरे पर हमले हुए, जिसमें न रिश्तों का ख्याल रखा गया ना ही उम्र, तजुर्बे और सम्मान का, रिश्ते तार तार होते देख कर बहुत दुख हुआ, कल के लड़के अपने पिता की उम्र के व्यक्तियों को गालियां द्दे रहे थे, तो वहीँ सती सावित्री टाइप राष्ट्रवादियों के स्क्रीनशॉट मार्किट में आ गए, कुल मिलाकर सब नंगे हो गए, और सिर्फ एक बात समझ में आई ये सब बहुत हल्के लोग निकले, मेरी नज़र में तो इनकी इज़्ज़त खत्म ही हो गयी, मैं इन सब लफड़ों से दूर रहा उसके बाद भी इशारों में बिना बात के मुझे नए मठाधीश कह कर घसीटने का प्रयास किया गया, हर बार की तरह मैने इस बार भी इग्नोर कर दिया, क्योंकि लड़ाई स्तरहीन हो चुकी थी, और मुझ से इतना नही गिरा जाता, बेरहाल एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप के बीच बड़े मठाधीशों को भी घसीटा गया परिवार के सदस्यों को भी बुरा भला कहा गया जो कि मेरी नज़र में अक्षम्य पाप है ।
फेसबुक की झूठी शान और तार तार होते रिश्ते
पिछले 2 साल से हर लफड़े में एक ही व्यक्ति का नाम आना उंस व्यक्ति की छवि को थार का मरुस्थल बना गया, तो कई अच्छा लिखने वाले भी एक्सपोज़ हो गए, अलग अलग गुट बनने के बाद सब पहलवान पर चढ़ बैठे, वे समझे कि वे जीत रहे हैं पर अचानक पहलवान ने एक साथ सबको धोबी पछाड़ द्दे दी, सभी चारों खाने चित, पहलवान ने अचानक माफी मांग कर सबका दिल जीत लिया, एक बात तो पक्की है रिंग हो या राजनीति पहलवान का कोई सानी नही, पहलवान एक बार फिर सर्वशक्तिमान बन कर उभरे, और उनसे टकराने वाले अपनी ईगो और झूठी शान के चलते अपनी साख गवां बैठे, मेरी नज़र में वो बड़ा होता है जो माफी मांग सके, जो अपनी अकड़ में हैं खूब रहें बस इज़्ज़त नही मिलनी, इसलिए अब भी मौका है, सब के पास अपनी अपनी वाल है बिना अकड़ के बिना शर्त और लाग लपेट माफी मांग लीजिये, दुनिया आपको पहले से ज़्यादा प्यार देगी, वर्ना कोई कहेगा नही पर दिल से तो आप सबके उतर ही जाओगे, जो इज़्ज़त खो दी है उसे दोबारा कमाइए,हालांकि इस लड़ाई से 1 महीने से अधिक समय पहले 23 फरवरी को मैंने एक पोस्ट के माध्यम से सलाह दी थी कि लड़ाई बन्द कर दी जाए, क्योंकि मेरा एनालिसिस था कि अब लड़ाई नही गंदगी फैलेगी, हुआ भी वही https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=10214672639185114&id=1097361624
इस सब से व्यथित हो कर हमारे सेठ जी FB ही छोड़ कर चले गए, देश मे दंगे हो रहे हैं और तोप रूपी मठाधीशों की वाल शांत पड़ी है, इतने नाजुक समय मे FB छोड़ कर जाना या कोई पोस्ट ना करना देश के लिए घातक सिद्ध होगा, इसलिए मेरा गिरधारी लाल गोयल सेठ जी और बाकी सभी मठाधीशों से निवेदन है कि वे अपनी अपनी वाल से फायरिंग शुरू करें, एकजुट हो कर बंगाल के हिन्दुओ की रक्षा करें, मुझे पूरा विश्वास है सेठ जी राष्ट्र और हिंदुत्व की खातिर अपना गुस्सा थूक कर तुरंत वापसी करेंगे, और भी जो लोग गए हैं या मनमुटाव के चलते निष्क्रिय हैं उन सब महान् योद्धाओं से एक बार पुनः निवेदन है "खून है पुकारता, पुकारती माँ भारती" इसलिए लौट आओ मेरे योद्धाओं और दिख दो दुनिया को की हम एक है, हम सर्वशक्तिमान, हम अजय है, हम ही वीर हैं, हर हर महादेव, जय श्री राम ।
फेसबुक लेखक व हिन्दू धर्म रक्षक नितिन शुक्ला लिखा गया लेख
फेसबुक की झूठी शान और तार तार होते रिश्ते
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